घर के बाहर दरवाजे पर लगातार घंटी के बजने पर निक अपने छोटे भाई निर्भय जिसकी उम्र लगभग 12 वर्ष है , उसे गेट खोलने को कहते हुए … जी भाई साहब आपको किससे मिलना है कहे क्या बात है ? अपने सामने खड़े तीन-चार महिला और पुरूष के झुण्ड से पुछते हुए, बेटा हम आयुष्मान फाउडेंशन से आये हैं आपके घर में कोई बड़ा है ,जिससे हम बात कर सकें ,अपने सामने खड़े निर्भय को बालक समझते युवकों का झुण्ड … जी हॉं हैं रूकिये मम्मी आ रही हैं अपनी मॉं की ओर इशारा करते हुए निर्भय … कौन है आप है ?
नमस्कार मैडम हम आयुष्मान फाउडेंशन से आये है, हमारी संस्था उन लोगों के लिये काम करती हैं, जिन लोगों पर प्राकतिक आपदा जैसे भूकंप, बाढ़ ,महामारी आदि आती हैं तो हम उन लागों के लिए अनाज ,कपड़े और जरूरी वस्तुऍ मुहैया कराते है आप जो भी चाहे स्वेच्छा से मदद कर सकती हैं,अपनी पालिशी दर्शाकर युवक ‘’ जी बिल्कुल आप ऐसा करे यह ले जाईए सलोनी.. मैं आप लोगों की इतनी मदद कर सकती हॅू फिलहाल तो भीतर रखे अनाज से कुछ अलग रखा अनाज देते हुए निर्भय अपनी मॉं को यू घर का अनाज बाटते देख गुस्से में आग बबुला होकर रह जाता हैं, सलोनी इन सब बातों से पूरी तरह अनजान है उसे ऐसा लगता है कि निर्भय अपने काम में मग्न है लेकिन जब सलोनी उससे कुछ पूछती है तब वो उस बात का जबाव न देकर एक ओर मुहॅं घुमाकर बैठ जाता है, निर्भय का यह रूप देखकर हैरान सलोनी अपने बेटे के नजदीक बैठाकर बड़े ही प्यार से कहती है कि बेटा तुम शायद मुझसे नाराज हो लेकिन जो अनाज हमने उन लागों को दिया है उन लोगों का कार्य क्या है ,इस बात को तुम्हे स्पष्ट कर देती हूँ, तभी निर्भय बोल पड़ता है मॉं आप घर का सारा सामान दूसरो को देती हो आप गंदी है उन्हें अपने अनाज दिया अपनी भडास निकालते हुए ,… अच्छा तो नाराजगी कि असली वजह यह है ,अगर मैं इस बात को प्रूफ कर दूँ कि मैंने जो किया सही किया तो क्या तुम मुझसे नाराज नहीं होगे? अपने बेटे के सिर पर हाथ फेरते हुए सलोनी … हॉं ठीक है सहमति से सिर हिलाकर निर्भय।
अपने पास पड़े टीवी के रिमोट को उठाकर टीवी ऑंन करती है और कहती है कि टीवी पर चल रही न्यूज इस बात कि ओर इशारा करती है कि सारे प्रदेश में नदी–नाले खतरें के निशान से ऊपर बह रहे है , कई जगह घरों में पानी भर गया है तो कई जगह घर बह गये है कई लागों की मौत हो चुकी है डूबने से । जल भराव से रेल और सड़क परिवहन ठप पड़ा हैं एक शहर का दूसरे शहर से सम्पर्क टूट गया है ऐसी ढेर सारी समस्याओं कि खबरे निर्भय को दिखाकर अब टीवी ऑफ कर देती है और अपने दोनों बच्चे निक और निर्भय को कहती है देखों बारिश के मौसम में ऐसी प्राकतिक आपदाओं को आना आम बात है ये कभी भी आ सकती है लेकिन इनके आने से कई परिवारों को ऐसे हालात का सामना करना पड़ता है जिसमें उनकी रोजमर्रा के कामों में ढेरों परेशानिया आती है जैसे खाना ,कपड़े ये सबसे जरूरी चीजे है ,बेटा आज उस ईश्वर ने हमें इस लायक बनाया है कि हम किसी के काम आ सके तो हमें किसी की मदद करने में जितना सहयोंग हो सके करना चाहिए । अपनी बात अपने दोनो बच्चों के सामने रखते हुए सलोनी … अपनी मॉं की इन बातों को सुनकर निर्भय सॉंरी मम्मी में बेवजह ही आपसे गुस्सा हो रहा था और अपनी मौ के गले लग जाता है, उसके दिल और दिमाग में एक बात अच्छी तरह से आ जाती है कि हम किसी की मदद कर सकते है तो जरूर करनी चाहिए इसमें ईश्वर हमारा साथ जरूर देगा ।
इस सोच के के साथ मुश्किल से दो दिन ही गुजरे होगे कि निर्भय अपनी गुल्ल्क फोड़ पैसा बैग में रख रहा होता है कि सलोनी का आना होता है तो वह अपनी मॅा से कहता है .. मॉं आज हमारे स्कूल में अनाथ बच्चों के लिए काम करने वाली एक संस्था आ रही है, मैं अपने यह पैसे उन बच्चों की पढाई के लिए देना चाहता हॅू अपने बैग में पैसा रखते हुए निर्भय.. बहुत अच्छी बात है ,तुम कहो तो मैं और पैसे दे देती हूँ प्यार से हाथ फेरते हुए सलोनी अपने बेटे के सिर पर । मम्मी ये पैसे वैसे भी आपके ही है लेकिन मैंने इन्हे जोड़ा है इसलिए मैं ये ही देना चाहता हॅू मैं सही कर रहा हॅू न हल्क्ी सी मुस्कुराहट के साथ निर्भय अपनी मॉं से …. बिल्कुल सही ,तुम अनाज ,कपड़े या फिर आर्थिक रूप से किसी गरीब या जरूरतमंद की मदद करते हो तो यकीनन ईश्वर तुम्हारी हर काम में मदद करता हैं ,निर्भय इंसानियत हमें सही सीख देती है ,जिन्दगी में किसी के काम आ सको ,तो समझना ‘’ये जीवन सफल है ‘’वर्ना जीवन- मृत्यु हर किसी से जुड़ी है,मुझे खुशी है ,तुमने जीवन सीख लिया …..