वो तुमसे चुप रहने की गुजारिश करेंगे, आखिर घर की तो बात है, घर तक रखो
वरना, लोग क्या कहेँगे
हाथ चूम कर गले लगाकर, माफ़ करने की गुहार लगायेंगे, फिर ऐसा कभी ना होगा
ये कह कर तुमको भरोसा भी दिलाएंगे
और फिर एक रोज, ……… हाँ दोबारा
हाथ मरोड़ कर मुँह तोड़ कर मजे से सो जाएँगे
जब रात भर दर्द से तुम कराह रही होगी,
वो, खर्राटे की आवाज़ से पूरा मोहल्ला उठाएँगे
फिर अगली सुबह जब तुम उनसे पूछोगी, आखिर कल बात क्या हुवी
क्यों बरसा ये कहर मुझपर,
थी गलती क्या मेरी,
अरे रात गयी बात गयी, ये कह कर
तुम्हे टाल जाएँगे
तो बताओ तुम,
कब तक करोगी माफ़
कब तक पूछोगी वो सवाल, जिसका जवाब न उनके पास है, न था,और ना कभी होगा
कभी तो करो खुद के साथ भी इन्साफ
कह दो एक बार साफ साफ,
बहुत हुवा तमाशा, बहुत दिया, सब ठीक हो जायेगा का दिलासा
अब बस और नहीं
बिलकुल भी नहीं
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